रेलवे में ई-टिकटों की गैरकानूनी बिक्री करने वाले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भंडाफोड़

 


रेलवे में ई-टिकटों की गैरकानूनी बिक्री करने वाले अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का भंडाफोड़ होते ही अब तक की जांच में बड़े खुलासे हुए हैं। अब गिरोह का सरगना बस्ती जिले के रहने वाले हामिद अशरफ को बताया जा रहा है। रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने हामिद अशरफ को उस रैकेट का मास्टरमाइंड भी बताया, जिस पर प्रति माह 10-15 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करने का संदेह है। कुमार ने कहा कि ई-टिकट गिरोह का सरगना सॉफ्टवेयर डेवलपर हामिद अशरफ है जो 2019 में गोंडा के स्कूल में हुए बम कांड में संलिप्त था, उसके दुबई फरार हो जाने का संदेह है।

सूत्र बताते हैं कि हामिद मूल रूप से बस्ती जिले के रमवापुर गांव का रहने वाला है। इंटर पास हामिद पहले पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र में ई-टिकट बनाने का काम करता था। उसके बाद हामिद ने खुद का सॉफ्टवेयर बना डाला। सबसे पहले उसने ब्लैक टीएस, नियो और फिर रेड मिर्ची सॉफ्टवेयर बनाया।



उसके बाद पूरे देश में अवैध सॉफ्टवेयर बेच एजेंटों के जरिए उसने जाल फैलाना शुरू किया। आईआरसीटीसी की बजाय अन्य वेबसाइट से मिनटों में तत्काल कोटे के टिकट बनने की भनक लगते ही रेलवे के साथ अन्य खुफिया एजेंसिया सक्रिय हुईं।

जांच में सॉफ्टवेयर का ‘मदर सर्वर और सरगना का अड्डा बस्ती में होना पाया गया। 28 अप्रैल 2016 को पहली दफा हामिद को उसी के सुपर सेलर शमशेर की मुखबिरी पर सीबीआई बेंगलुरु और विजिलेंस मुम्बई की संयुक्त टीम ने पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।

कुछ दिनों बाद जमानत पर रिहा हुआ तो सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए नेपाल चला गया। कुछ दिनों तक नेपाल के नवलपरासी जिले में रहा और फिर काठमांडू को स्थाई ठिकाना बना लिया। मौजूदा समय भी वह काठमांडू में ही है। वहीं से दुबई जाता रहता है।


दुबई, पाकिस्तान और बांग्लादेश में टेरर फंडिंग से जुड़े हैं लिंक


रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि इनके लिंक दुबई, पाकिस्तान और बांग्लादेश में टेरर फंडिंग से जुड़े हैं। हम गिरोह के सदस्यों की जांच कर रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हाल के दिनों में रेलवे में अवैध टिकटों पर सबसे बड़ी कार्रवाई के दौरान आरपीएफ ने झारखंड के एक मदरसा से पढ़े एक सॉफ्टवेयर डेवलपर को गिरफ्तार किया है, जिसके टेरर फंडिंग से जुड़े होने की आशंका है।

गुलाम मुस्तफा को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से आईआरसीटीसी की 563 आईडी मिले हैं। इसके अलावा एसबीआई की 2,400 शाखाओं और 600 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में खाते होने का संदेह है। ई-टिकट गिरोह मामले में गिरफ्तार गुलाम मुस्तफा से पिछले 10 दिनों में आईबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी, एनआईए, कर्नाटक पुलिस ने पूछताछ की है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि गुलाम मुस्तफा मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मामले में संदिग्ध है।

डीजी अरूण कुमार के मुताबिक, रेलवे की टिकटों के अवैध कारोबार से कमाई का ये पैसा दरअसल देश के खिलाफ ही इस्तेमाल हो रहा है। आरपीएफ ने इस मामले में अब तक कुल 27 लोगों को गिरफ्तार किया है। गुलाम मुस्तफा से आईबी, एनआईए की टीमें पूछताछ कर रही हैं।

आरपीएफ के अनुसार गुलाम मुस्तफा पाकिस्तान के तबलीग-ए-जमात को फॉलो करता है। उसके लैपटॉप और मोबाइल फोन से पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मिडिल ईस्ट के कई नंबर मिले हैं, जिनसे वह लगातार संपर्क में था। अरूण कुमार के मुताबिक इनके लैपटॉप से जो जानकारी मिल रही है वो हाईली इनक्रिपिटिड है, उस पर हम काम कर रहे है। अभी हम जिनको डिकोड कर पाए हैं उसमें सामने आ रहा है कि इनके कई सारे लिंक पाकिस्तान से हैं।

बहुत सारे पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और युगोस्लाविया के नंबर हैं जिनसे ये सीधे संपर्क में थे, उनकी हम जांच कर रहे हैं। बैंक अकाउंट की डिटेल ये बता रही है कि इन खातों का एक मुश्त पैसा एक नामी सॉप्टवेयर कंपनी की तरफ जा रहा है। उसकी जांच अब एजेंसियां कर रही हैं।

डीजी आरपीएफ द्वारा मांगी गई सूचना के मुताबिक बस्ती में ई-टिकट और हामिद से जुड़े मुकदमों की जानकारी भेज दी गई है। बस्ती पुलिस उसके पीछे लगी है। जल्द ही वह सलाखों के पीछे होगा।

- हेमराज मीणा, एसपी बस्ती